निवेदन
May 09, 2019
क्या 90 % वाले ही दुनिया में सब कुछ कर सकते है ?? माँ-बाप तुलना करना बंद करे 😡😡😡
क्या 90 % वाले ही दुनिया में सब कुछ कर सकते है ?? माँ-बाप तुलना करना बंद करे 😡😡😡
आजकल 10 वी और 12 वीं के रिजल्ट आ रहे है | 90 % बनाने वाले बच्चो के अभिभावक बड़े गर्व से उनका नाम और फोटो डाल रहे है | भला अपनी संतान के उल्लेखनीय सफलता पर किस माता-पिता को गर्व नहीं होगा ? किसकी छाती छोड़ी नहीं होगी ? ऐसे सभी सफल बच्चो और उनके माता-पिता को बहुत बहुत बधाई |
लेकिन उनका क्या जिन बच्चो ने 54% स्कोर किया ? उनके अभिभावक के पास गर्व करने के लिए कुछ नहीं है क्या ? ऐसे छात्र और छात्राऐ परीक्षा में अच्छे अंक नहीं ला सके , अपने माता-पिता की आशाओं और आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतर सके वे निश्चित ही निराश और हताश होंगे | हो सकता है उन्हें तरह तरह तानो का सामना करना पड़ रहा हो | तो क्या उनकी कोई वैल्यू नहीं रह गई ? क्या अब वो बच्चे कुछ नहीं कर सकते है |
1987 की बात है - इटली में रोम नगर में एथेलेटिक्स की वर्ल्ड चैंपियनशिप हो रही थी | 1500 मीटर की दौड़ में भारत का प्रतिनिधित्व कश्मीरा सिंह कर रहे थे | 1500 मीटर की दौड़ ट्रैक के कुल पौने चार चक्कर लगाने होते है | यानी पहले राउंड में कुल 300 मीटर और बाकि 3 राउंड में कुल 1200 मीटर | दौड़ शुरू हुई और कश्मीरा सिंह ने पहले ही बढ़त बना ली | ट्रैक पे लगभग 40 से ज्यादा धावक दौड़ रहे थे | पर कश्मीरा सिंह सबसे आगे चल रहे थे | कमेंटेटर ने बताया की इंडिया के धावक सबसे आगे दौड़ रहे है |
3 राउंड तक कश्मीरा सिंह सबसे आगे थे | पर कमेंटेटर किसी और की तारीफ किये जा रहा था | उसकी निगाहें पीछे चल रहे 2 अन्य धावकों पर थी | थोड़ी देर में ही चौथा राउंड शुरू हुआ | एक धावक बढ़ कर कश्मीरा सिंह से आगे आ गया | और बस उसके बाद कश्मीरा सिंह धावकों की भीड़ में खो से गए | बाद में पता चला की वो 40 धावकों में से 38 वे स्थान पर रहे |
ठीक उसी प्रकार से जिंदगी की दौड़ में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की आप पहले राउंड में आगे है या नहीं | फर्क इस बात से पड़ता है की फिनिशिंग लाइन पर सबसे पहले कौन पँहुचता है | उस दौड़ में सोमालिया के Abdi Bile फिनिशिंग लाइन पर सबसे पहले पहुंचे और उन्होंने गोल्ड मैडल जीता | इतिहास में Abdi Bile का नाम दर्ज़ है ना की कश्मीरा सिंह का |
दोस्तों अभी तो जिंदगी की मैराथॉन दौड़ का बमुश्किल पहला राउंड शुरू हुआ है | फिनिशिंग लाइन पे न जाने कौन सबसे पहले पंहुचेगा | शुरू में तेज़ दौड़ने वाले जरुरी नहीं की इसी दमखम से लगे रहे | सबसे आगे वो आएगा जो धर्य पूर्वक लगा रहेगा | जो कभी हार नहीं मानेगा | वो जीतेगा जिसकी निगाहें अपने लक्ष्य पर ही है भले वो धीरे चल रहा हो |
जितना जरुरी नहीं है | मजा दौड़ पूरी करने में भी है | जिंदगी की दौड़ में अक्सर 54% भी जीतते है | याद रखना दोस्तों चीनी बांस (चाइनीज बम्बू) सबसे देरी से उगता है पर उगते ही 7 हप्ते में ही 40 फुट का हो जाता है | इसीलिए दौड़ते रहो ,बीएस रुको मत |
हाल ही में एक माँ ने अपने बच्चे के 60 % ही बना पाने पर कुछ ऐसा पोस्ट किया की हर तरफ तारीफ हो रही है | आप भी पढ़े -
" Super proud of my boy who scored a 60% in class 10th board exams. Yes it is not a 90 , but that doesn't change how I feel. Simply because I have seen him struggle with certain subjects almost to the point of giving up , and then deciding to give his all in the last month and a half to finally make it through .Here is to you Amar. and others like you - fishes asked to climb trees. Chart your own course in the big , wide ocean , my love. And keep your innate goodness curiosity and wisdom alive. And of course you wicked sense of humor."
अंतिम निवेदन - आप अपने बच्चो की तुलना किसी और से ना करे क्योंकि हर एक बच्चा आदित्य है , अद्भत है और विशेष है |
1987 की बात है - इटली में रोम नगर में एथेलेटिक्स की वर्ल्ड चैंपियनशिप हो रही थी | 1500 मीटर की दौड़ में भारत का प्रतिनिधित्व कश्मीरा सिंह कर रहे थे | 1500 मीटर की दौड़ ट्रैक के कुल पौने चार चक्कर लगाने होते है | यानी पहले राउंड में कुल 300 मीटर और बाकि 3 राउंड में कुल 1200 मीटर | दौड़ शुरू हुई और कश्मीरा सिंह ने पहले ही बढ़त बना ली | ट्रैक पे लगभग 40 से ज्यादा धावक दौड़ रहे थे | पर कश्मीरा सिंह सबसे आगे चल रहे थे | कमेंटेटर ने बताया की इंडिया के धावक सबसे आगे दौड़ रहे है |
3 राउंड तक कश्मीरा सिंह सबसे आगे थे | पर कमेंटेटर किसी और की तारीफ किये जा रहा था | उसकी निगाहें पीछे चल रहे 2 अन्य धावकों पर थी | थोड़ी देर में ही चौथा राउंड शुरू हुआ | एक धावक बढ़ कर कश्मीरा सिंह से आगे आ गया | और बस उसके बाद कश्मीरा सिंह धावकों की भीड़ में खो से गए | बाद में पता चला की वो 40 धावकों में से 38 वे स्थान पर रहे |
ठीक उसी प्रकार से जिंदगी की दौड़ में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की आप पहले राउंड में आगे है या नहीं | फर्क इस बात से पड़ता है की फिनिशिंग लाइन पर सबसे पहले कौन पँहुचता है | उस दौड़ में सोमालिया के Abdi Bile फिनिशिंग लाइन पर सबसे पहले पहुंचे और उन्होंने गोल्ड मैडल जीता | इतिहास में Abdi Bile का नाम दर्ज़ है ना की कश्मीरा सिंह का |
दोस्तों अभी तो जिंदगी की मैराथॉन दौड़ का बमुश्किल पहला राउंड शुरू हुआ है | फिनिशिंग लाइन पे न जाने कौन सबसे पहले पंहुचेगा | शुरू में तेज़ दौड़ने वाले जरुरी नहीं की इसी दमखम से लगे रहे | सबसे आगे वो आएगा जो धर्य पूर्वक लगा रहेगा | जो कभी हार नहीं मानेगा | वो जीतेगा जिसकी निगाहें अपने लक्ष्य पर ही है भले वो धीरे चल रहा हो |
जितना जरुरी नहीं है | मजा दौड़ पूरी करने में भी है | जिंदगी की दौड़ में अक्सर 54% भी जीतते है | याद रखना दोस्तों चीनी बांस (चाइनीज बम्बू) सबसे देरी से उगता है पर उगते ही 7 हप्ते में ही 40 फुट का हो जाता है | इसीलिए दौड़ते रहो ,बीएस रुको मत |
हाल ही में एक माँ ने अपने बच्चे के 60 % ही बना पाने पर कुछ ऐसा पोस्ट किया की हर तरफ तारीफ हो रही है | आप भी पढ़े -
" Super proud of my boy who scored a 60% in class 10th board exams. Yes it is not a 90 , but that doesn't change how I feel. Simply because I have seen him struggle with certain subjects almost to the point of giving up , and then deciding to give his all in the last month and a half to finally make it through .Here is to you Amar. and others like you - fishes asked to climb trees. Chart your own course in the big , wide ocean , my love. And keep your innate goodness curiosity and wisdom alive. And of course you wicked sense of humor."
अंतिम निवेदन - आप अपने बच्चो की तुलना किसी और से ना करे क्योंकि हर एक बच्चा आदित्य है , अद्भत है और विशेष है |