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Saturday, March 30, 2019

March 30, 2019

" नोटबुक " एक सिख है , सच्चाई है | #notebookmovie

बेजान सी इस फिल्म ने दिलों में कैसे जान फूँक दी 

कई बार "जिसे हम जो समझते है अक्सर वो वैसा होता नहीं , और जो जैसा होता है वो वैसा दीखता नहीं "| इसी बात को 100 % सही साबित करती है "नोटबुक " | Notebook Movie 29 मार्च 2019 को सिनेमा घरो में प्रदर्शित की गई | इस फिल्म की कहानी , इसके स्टार कास्ट दोनों बिल्कुल साधारण से है पर फिर भी Notebook Movie का प्रभाव काफी दमदार रहा | IMDb पर नोटबुक फिल्म को  7.3 /10 रेटिंग मिली है | 

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प्यार , शिक्षा और कहानी खत्म ?

नोटबुक फिल्म देखने पर पता चलता है की फिल्म में केवल दो टीचर्स के बिच प्यार और कश्मीर में दूर कंही गाँव में 7 बच्चों की शिक्षा की ही कहानी है | पर बात कुछ और भी है | इसमें इमरान (10-12 साल का) जो की एक स्टूडेंट है के आगामी भविष्य पर भी प्रकाश डाला गया है | कश्मीर की एक असली समस्या शिक्षा पर ये फिल्म शायद सटीक बैठती है | इमरान के अब्बू उससे पढ़ाना नहीं चाहते बल्कि उसे तालीम देना चाहते थे | तालीम के लिए उसे कँही दूर भेजना भी चाहते थे | अब ये आसानी से समझा जा सकता है की इमरान को कँहा भेजा जा रहा था ?  बिल्कुल सही सोचा आपने | खेर इस बारे में हम फिर कभी बात करेंगे | 

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क्या कहानी है Notebook Movie की ? 

कहानी के दो मुख्य किरदार कबीर (अभिनेता) और फिरदौस (अभिनेत्री) है | कबीर पहले आर्मी में होता है | लेकिन एक दिन जब एक बच्चा भेड़ को लेने बॉर्डर पार कर आता है और कबीर उसको बोलता है की तुम कौन हो और कैसे यँहा आ गए ? तो बच्चा डर के भागने लगता है और उसका पैर बिछाई माइंस पर पड़ जाता है | एक धमाका होता है और बच्चा मारा जाता है | कबीर ये देख नहीं पाया और उसको लगा बन्दुक की वजह से वो बच्चा डर गया था और उसकी मौत हो गई | तभी कबीर में आर्मी छोड़ दी | कबीर अपने जीवन से संतुष्ट नहीं था | 

दूसरी तरफ फिरदौस जो की बस स्वतंत्र होना चाहती है | वो दूर एक गाँव में मात्र 7 बच्चों को पढ़ाने के लिए अकेली उसी स्कूल में रूकती है | उसके प्रेमी से उसकी कोई खास बनती नहीं है | बस वो खुलकर जीना चाहती थी | शादी के ही दिन पता चलता है की उसके प्रेमी ने किसी और लड़की को प्रेगनेंट कर दिया है |  उसकी शादी नहीं हो पाती है और फिर से वो दूर उस स्कूल में पढ़ाने चली जाती है | पहले टैटू की वजह से फिरदौस ने स्कूल छोड़ दी थी | फिर कबीर बच्चों को पढ़ाने आ गया | पर दोनों कभी मिले नहीं थे | 

 फिरदौस की डायरी को कबीर पढता है और उसको उससे प्यार हो जाता है | पर दोनों का मिलना नहीं हो पाता है | जब कबीर स्कूल छोड़ कर जाता है तो डायरी में वो भी अपने दिल की बाते लिख कर रख देता है | उस डायरी को फिरदौस पढ़ती है और कबीर को ढूंढने जाती है पर कबीर नहीं मिलता | एक दिन एक खत आता है की बच्चों से मिलने कबीर स्कूल में आने वाला है | 

उधर जब इमरान स्कूल में होता है तो उसके अब्बू उसको लेने आ जाते है | इमरान के अब्बू ने पहले भी उसको पढ़ने के लिए मना किया था | इसी बिच कबीर वँहा आ जाता है और इमरान के अब्बू से इमरान को साथ नहीं ले जाने को कहता है | इमरान के अब्बू कबीर तो थप्पड़ मारते है और कबीर को अपना हाथ छोड़ने को कहते है | इसी बिच इमरान के अब्बू अपनी बन्दुक से कबीर को मारने लगते है | बन्दुक उंछल कर थोड़ी दूर गिर जाती है | 

इमरान के अब्बू इमरान को बंदूक देने को कहते है पर इमरान बंदूक अपने अब्बू पर ही तान देता है | पर कबीर के मना करने पर इमरान मान जाता है और बंदूक वापस निचे रख देता है | इमरान के अब्बू  बदल जाते है | फिर कबीर और फिरदौस का मिलन हो जाता है | 

फिल्म को काफी अच्छी तरह से सजाया गया है | थाई फिल्म "टीचर्स-डायरी" पर ही ये फिल्म बनाई गई है | इस फिल्म को सलमान खान ने produce किया है और नितिन कक्कड़ ने डायरेक्ट किया है |