Breaking

Showing posts with label story. Show all posts
Showing posts with label story. Show all posts

Wednesday, September 18, 2019

September 18, 2019

बेवकूफ औरत बेमतलब ही रो देती है ||

एक गृहणी वो रोज़ाना की तरह आज फिर ईश्वर का नाम लेकर उठी थी ।किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया। फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें । कुछ ही पलों मे वो अपने सास ससुर को चाय देकर आयी फिर बच्चों का नाश्ता तैयार किया और इस बीच उसने बच्चों को ड्रेस भी पहनाई। फिर बच्चों को नाश्ता कराया।

Stupid woman cries meaninglessly


पति के लिए दोपहर का टिफीन बनाना भी जरूरी था। इस बीच स्कूल का रिक्शा आ गया और वो बच्चों को रिक्शा तक छोड़ने चली गई । वापस आकर पति का टिफीन बनाया और फिर मेज़ से जूठे बर्तन इकठ्ठा किये ।इस बीच पतिदेव की आवाज़ आई की मेरे कपङे निकाल दो । उनको ऑफिस जाने लिए कपङे निकाल कर दिए।

अभी पति के लिए उनकी पसंद का नाश्ता तैयार करके टेबिल पर लगाया ही था की छोटी ननद आई और ये कहकर गई कि भाभी आज मुझे भी कॉलेज जल्दी जाना, मेरा भी नाश्ता लगा देना।

तभी देवर की भी आवाज़ आई की भाभी नाश्ता तैयार हो गया क्या?

अभी लीजिये नाश्ता तैयार है।

पति और देवर ने नाश्ता किया और अखबार पढ़कर अपने अपने ऑफिस के लिए निकल चले ।

उसने मेज़ से खाली बर्तन समेटे और सास ससुर के लिए उनका परहेज़ का नाश्ता तैयार करने लगी ।

दोनों को नाश्ता कराने के बाद फिर बर्तन इकट्ठे किये और उनको भी किचिन में लाकर धोने लगी ।

इस बीच सफाई वाली भी आ गयी ।

उसने बर्तन का काम सफाई वाली को सौंप कर खुद बेड की चादरें वगेरा इकट्ठा करने पहुँच गयी और फिर सफाई वाली के साथ मिलकर सफाई में जुट गयी ।

अब तक 11 बज चुके थे, अभी वो पूरी तरह काम समेट भी ना पायी थी की काल बेल बजी ।

दरवाज़ा खोला तो सामने बड़ी ननद और उसके पति व बच्चे सामने खड़े थे ।

उसने ख़ुशी ख़ुशी सभी को आदर के साथ घर में बुलाया और उनसे बाते करते करते उनके आने से हुई ख़ुशी का इज़हार करती रही ।

ननद की फ़रमाईश के मुताबिक़ नाश्ता तैयार करने के बाद अभी वो नन्द के पास बेठी ही थी की सास की आवाज़ आई की बहु खाने का क्या प्रोग्राम हे ।

उसने घडी पर नज़र डाली तो 12 बज रहे थे ।

उसकी फ़िक्र बढ़ गयी वो जल्दी से फ्रिज की तरफ लपकी और सब्ज़ी निकाली और फिर से दोपहर के खाने की तैयारी में जुट गयी ।

खाना बनाते बनाते अब दोपहर का दो बज चुके थे ।

बच्चे स्कूल से आने वाले थे, लो बच्चे आ गये ।

उसने जल्दी जल्दी बच्चों की ड्रेस उतारी और उनका मुंह हाथ धुलवाकर उनको खाना खिलाया ।

इस बीच छोटी नन्द भी कॉलेज से आगयी और देवर भी आ चुके थे ।

उसने सभी के लिए मेज़ पर खाना लगाया और खुद रोटी बनाने में लग गयी ।

खाना खाकर सब लोग फ्री हुवे तो उसने मेज़ से फिर बर्तन जमा करने शुरू करदिये ।

इस वक़्त तीन बज रहे थे ।

अब उसको खुदको भी भूख का एहसास होने लगा था ।

उसने हॉट पॉट देखा तो उसमे कोई रोटी नहीं बची थी ।

उसने फिर से किचिन की और रुख किया तभी पतिदेव घर में दाखिल होते हुये बोले की आज देर होगयी भूख बहुत लगी हे जल्दी से खाना लगादो ।

उसने जल्दी जल्दी पति के लिए खाना बनाया और मेज़ पर खाना लगा कर पति को किचिन से गर्म रोटी बनाकर ला कर देने लगी ।

अब तक चार बज चुके थे ।

अभी वो खाना खिला ही रही थी की पतिदेव ने कहा की आजाओ तुमभी खालो ।

उसने हैरत से पति की तरफ देखा तो उसे ख्याल आया की आज मैंने सुबह से कुछ खाया ही नहीं ।

इस ख्याल के आते ही वो पति के साथ खाना खाने बैठ गयी ।

अभी पहला निवाला उसने मुंह में डाला ही था की आँख से आंसू निकल आये

पति देव ने उसके आंसू देखे तो फ़ौरन पूछा की तुम क्यों रो रही हो ।

वो खामोश रही और सोचने लगी की इन्हें कैसे बताऊँ की ससुराल में कितनी मेहनत के बाद ये रोटी का निवाला नसीब होता हे और लोग इसे मुफ़्त की रोटी कहते हैं ।

पति के बार बार पूछने पर उसने सिर्फ इतना कहा की कुछ नहीं बस ऐसे ही आंसू आ गये ।

पति मुस्कुराये और बोले कि तुम औरते भी बड़ी "बेवक़ूफ़" होती हो, बिना वजह रोना शुरू कर देती हो।

बस इतनी सी कहानी है | कभी कभी बेवकूफ होना भी कई दर्द समेटने जैसा है |