TRP पाने के लिए हर मुद्दे को मजहबी रंग देता भारतीय मीडिया
भारत देश को सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश कहा जाता है | ये देश धर्मनिरपेक्षता लिए हुए अनेको धर्मों , जातियों , भाषाओँ , और अनेक विविधताओं से परिपूर्ण है | यह देश चार स्तम्भों से मजबूती लिए हुए है जो की निम्न है -
1. न्यायपालिका
2. कार्यपालिका
3. विधायका
4. मीडिया
ये जो चौथा स्तम्भ है उसकी जिम्मेदारी काफी संवेदनशील है | ये अन्य तीन स्तम्भों पे खास नज़र जमाये रखता है और उनसे जुड़ी हर जानकारी जनता तक पँहुचा देता है | जनता तक जनता के लिए बनाई गई नीतियां , योजनाए आदि सूचनाएँ प्रसारित करता है | लेकिन क्या यही सच्चाई है ?? क्या मीडिया हकीकत में संवेदनशील है ? क्या मीडिया TRP के जाल की सीमा में ही बंधे रहते है ?
मीडिया के लिए हर मुद्दा मजहबी क्यों हो जाता है ?
पिछले कई दशकों से भारतीय मीडिया के दो खेमे अपना-अपना काम बड़ी आजादी से कर रहे है | क्योंकि आप मीडिया से उनकी आज़ादी के बारे में ना तो पूछ सकते है और न ही बता सकते है | ये खेमे कोई " माय चॉइस " से नहीं बने है | वरन इनको मुद्रा दर्शन करा कर बनाया गया है | मीडिया में राजनितिक हस्तक्षेप आज बिल्कुल पारदर्शी नज़र आता है |
एक छोटी घटना को कैसे मजहबी लिबास पहनाना है ये उनकी टीवी स्क्रीन से साफ़ नज़र आ जाता है | आज की मीडिया के ये खेमे देश हित की दृष्टि से परे हुए जा रहे है | जँहा एक तरफ जाती-पाती , ऊंच-नीच जैसी धारणाये अब भूतकाल हुए जा रहे है वँही भारतीय मीडिया इनकी कब्र को बार-बार कुरेदे जा रही है |
ये जो इनकी " ब्रेकिंग न्यूज़ " होती है ना ये उतनी ही सोची समझी स्क्रिप्ट होती है | ये चित्रों में ऐसा रंग डालते है की भोली जनता उसे सच मान ही लेती है | सबसे बड़ा रंग इनका होता है " मजहबी रंग " | हर एक घटना पर आप दो-दो राय देख सकते है | हर एक घटना पर अलग-अलग रिपोर्टिंग दिखाई जाती है | एक चैनल पर एक धर्म की पूरी किताब सुनाकर आपको बेसुध किया जाता है तो दूसरे चैनल पर आपको दूसरे धर्म के ग्रन्थ गा सुना कर आपकी फीलिंग्स को जकड़ कर धर्मनिरपेक्षता को झट से बाहर कर दिया जाता है |
ये TRP का खेल इतना भद्दा है की देश की आंतरिक हालत जंहा आग से उबल रहे होते है तभी ये लोग शुद्ध देशी घी उसमे परोस देते है | आहुति देने जितनी इनकी ओकात है ही नहीं | चाहे अखलाल हो , चाहे केरला में RSS के लोगो की हत्या हो , चाहे आसिफा हो चाहे कैराना हो | अरे हाँ वो गुजरात वाला तो हमने भुला ही दिया | गोधरा काण्ड सुने हो ना ? उसपर मीडिया का छाती पीटने का जो अंदाज देखा गया वो किसी सास बहु वाले सीरियल से कम नहीं था |
हर एक मीडिया चैनल को किसी विशेष राजनितिक दल का सपोर्ट मिला हुआ है | ये मीडिया चैनल अपने आक़ाओं के स्वाद से पूरी तरह वाकिफ होते है | खाना वैसा ही बनेगा जैसा आका खाएंगे | चुनाव के समय तो हर एक छोटी घटना बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है | मीडिया एक पल में जाती और धर्म का ठप्पा ठोक देती है और बाकि अपने नेता जी "प्रेस कांफ्रेंस" के जरिये पुरे साल का बचा ज़हर उगल देते है |
एक छोटी घटना को कैसे मजहबी लिबास पहनाना है ये उनकी टीवी स्क्रीन से साफ़ नज़र आ जाता है | आज की मीडिया के ये खेमे देश हित की दृष्टि से परे हुए जा रहे है | जँहा एक तरफ जाती-पाती , ऊंच-नीच जैसी धारणाये अब भूतकाल हुए जा रहे है वँही भारतीय मीडिया इनकी कब्र को बार-बार कुरेदे जा रही है |
ये जो इनकी " ब्रेकिंग न्यूज़ " होती है ना ये उतनी ही सोची समझी स्क्रिप्ट होती है | ये चित्रों में ऐसा रंग डालते है की भोली जनता उसे सच मान ही लेती है | सबसे बड़ा रंग इनका होता है " मजहबी रंग " | हर एक घटना पर आप दो-दो राय देख सकते है | हर एक घटना पर अलग-अलग रिपोर्टिंग दिखाई जाती है | एक चैनल पर एक धर्म की पूरी किताब सुनाकर आपको बेसुध किया जाता है तो दूसरे चैनल पर आपको दूसरे धर्म के ग्रन्थ गा सुना कर आपकी फीलिंग्स को जकड़ कर धर्मनिरपेक्षता को झट से बाहर कर दिया जाता है |
ये TRP का खेल इतना भद्दा है की देश की आंतरिक हालत जंहा आग से उबल रहे होते है तभी ये लोग शुद्ध देशी घी उसमे परोस देते है | आहुति देने जितनी इनकी ओकात है ही नहीं | चाहे अखलाल हो , चाहे केरला में RSS के लोगो की हत्या हो , चाहे आसिफा हो चाहे कैराना हो | अरे हाँ वो गुजरात वाला तो हमने भुला ही दिया | गोधरा काण्ड सुने हो ना ? उसपर मीडिया का छाती पीटने का जो अंदाज देखा गया वो किसी सास बहु वाले सीरियल से कम नहीं था |
हर एक मीडिया चैनल को किसी विशेष राजनितिक दल का सपोर्ट मिला हुआ है | ये मीडिया चैनल अपने आक़ाओं के स्वाद से पूरी तरह वाकिफ होते है | खाना वैसा ही बनेगा जैसा आका खाएंगे | चुनाव के समय तो हर एक छोटी घटना बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है | मीडिया एक पल में जाती और धर्म का ठप्पा ठोक देती है और बाकि अपने नेता जी "प्रेस कांफ्रेंस" के जरिये पुरे साल का बचा ज़हर उगल देते है |
TRP ही सब कुछ क्यों ?
मीडिया चैनल इस होड़ में रहते है की कैसे चैनल को एक नंबर पर लाया जाये क्योंकि सारी लड़ाई तो पैसों पर अटकी रहती है | जितने ज्यादा व्यूज मिलेंगे उतनी ज्यादा इनकम भी होगी | अब बात आती है व्यूज कैसे बढ़ाये ? बस यँही से इनका रंग मालूम हो जाता है | TRP की भूखी मीडिया जानती है की भारत जैसे देश में बसे लोगों की कमजोरी क्या है | धर्म ही एक ऐसा हथियार है जिसका यूज़ मीडिया बखूबी कर अधिक से अधिक व्यूज बटोर लेती है | बस ये TRP का रोना ही सब खेल की जड़ है |
जनता क्या करे ?
हम ये कतई तय नहीं कह सकते की जनता को क्या करना चाहिए , लेकिन देश की एकता और अखंडता पर हम सभी को एक हो जाना चाहिए | केवल रंगीन चित्रों से हमको ठगा नहीं जा सकता | आज के दौर में हमें समझना होगा की मीडिया की भूख किसी की भी जान ले सकती है | दंगे भड़क सकते है | सुविधा तभी रहेगी जब हम इनके जाली चित्रों और मिलावटी बातो को अपने गुस्से पर हावी नहीं होने दे | बाकि सबकी अपनी अपनी कुटिया में मगन है ही |
जो सज्जन मजहबी बातो पर चुप हो जाते है या उनके मुँह में दही जम जाती है उनके लिए हम एक अचूक नुस्खा बता रहे है | आगामी जीवन में ये नुस्खा आपके लिए बहुत काम आने वाला है | निचे लिंक पर क्लिक करे |
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