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Thursday, May 9, 2019

May 09, 2019

क्या 90 % वाले ही दुनिया में सब कुछ कर सकते है ?? माँ-बाप तुलना करना बंद करे 😡😡😡

क्या 90 % वाले ही दुनिया में सब कुछ कर सकते है ?? माँ-बाप तुलना करना बंद करे  😡😡😡

आजकल 10 वी और 12 वीं के रिजल्ट आ रहे है | 90 %  बनाने वाले बच्चो के अभिभावक बड़े गर्व से उनका नाम और फोटो डाल रहे है | भला अपनी संतान के उल्लेखनीय सफलता पर किस माता-पिता को गर्व नहीं होगा ? किसकी छाती छोड़ी नहीं होगी ? ऐसे सभी सफल बच्चो और उनके माता-पिता को बहुत बहुत बधाई | 


The Aunty
photo credit - WikiHow


 लेकिन उनका क्या जिन बच्चो ने 54% स्कोर किया ? उनके अभिभावक के पास गर्व करने के लिए कुछ नहीं है क्या ? ऐसे छात्र और छात्राऐ  परीक्षा में अच्छे अंक नहीं ला सके , अपने माता-पिता की आशाओं और आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतर सके वे निश्चित ही निराश और हताश होंगे | हो सकता है उन्हें तरह तरह तानो का सामना करना पड़ रहा हो | तो क्या उनकी कोई वैल्यू नहीं रह गई ? क्या अब वो बच्चे कुछ नहीं कर सकते है | 

1987 की बात है - इटली में रोम नगर में एथेलेटिक्स की वर्ल्ड चैंपियनशिप हो रही थी | 1500 मीटर की दौड़ में भारत का प्रतिनिधित्व कश्मीरा सिंह कर रहे थे | 1500 मीटर की दौड़ ट्रैक के कुल पौने चार चक्कर लगाने होते है | यानी पहले राउंड में कुल 300 मीटर और बाकि 3 राउंड में कुल 1200 मीटर | दौड़ शुरू हुई और कश्मीरा सिंह ने पहले ही बढ़त बना ली | ट्रैक पे लगभग 40 से ज्यादा धावक दौड़ रहे थे | पर कश्मीरा सिंह सबसे आगे चल रहे थे | कमेंटेटर ने बताया की इंडिया के धावक सबसे आगे दौड़ रहे है | 

3 राउंड तक कश्मीरा सिंह सबसे आगे थे | पर कमेंटेटर किसी और की तारीफ किये जा रहा था | उसकी निगाहें पीछे चल रहे 2 अन्य धावकों पर थी | थोड़ी देर में ही चौथा राउंड शुरू हुआ | एक धावक बढ़ कर कश्मीरा सिंह से आगे आ गया | और बस उसके बाद कश्मीरा सिंह धावकों की भीड़ में खो से गए | बाद में पता चला की वो 40 धावकों में से 38 वे स्थान पर रहे | 

ठीक उसी  प्रकार से जिंदगी की दौड़ में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की आप पहले राउंड में आगे है या नहीं | फर्क इस बात से पड़ता है की फिनिशिंग लाइन पर सबसे पहले कौन पँहुचता है | उस दौड़ में सोमालिया के Abdi Bile फिनिशिंग लाइन पर सबसे पहले पहुंचे और उन्होंने गोल्ड मैडल जीता | इतिहास में Abdi Bile का नाम दर्ज़ है ना की कश्मीरा सिंह का | 

दोस्तों अभी तो जिंदगी की मैराथॉन दौड़ का बमुश्किल पहला राउंड शुरू हुआ है | फिनिशिंग लाइन पे न जाने कौन सबसे पहले पंहुचेगा | शुरू में तेज़ दौड़ने वाले जरुरी नहीं की इसी दमखम से लगे रहे | सबसे आगे वो आएगा जो धर्य पूर्वक लगा रहेगा | जो कभी हार नहीं मानेगा | वो जीतेगा जिसकी निगाहें अपने लक्ष्य पर ही है भले वो धीरे चल रहा हो | 

जितना जरुरी नहीं है | मजा दौड़ पूरी करने में भी है | जिंदगी की दौड़ में अक्सर 54% भी जीतते है | याद रखना दोस्तों चीनी बांस (चाइनीज बम्बू)     सबसे देरी से उगता है पर उगते ही 7 हप्ते में ही 40 फुट का हो जाता है | इसीलिए दौड़ते रहो ,बीएस रुको मत | 

हाल ही में एक माँ ने अपने बच्चे के 60 % ही बना पाने पर कुछ ऐसा पोस्ट किया की हर तरफ तारीफ हो रही है | आप भी पढ़े -
" Super proud of my boy who scored a 60% in class 10th board exams. Yes it is not a 90 , but that doesn't change how I feel. Simply because I have seen him struggle with certain subjects almost to the point of giving up , and then deciding to give his all in the last month and a half to finally make it through .Here is to you Amar. and others like you - fishes asked to climb trees. Chart your own course in the big , wide ocean , my love. And keep your innate goodness curiosity and wisdom alive. And of course you wicked sense of humor." 

अंतिम निवेदन - आप अपने बच्चो की तुलना किसी और से ना करे क्योंकि हर एक बच्चा आदित्य है , अद्भत है और विशेष है |  

Wednesday, May 1, 2019

May 01, 2019

मैं भारत तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ , सुन सकते हो ना ? I am India & Want to Ask something , Can you hear ?

मैं भारत तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ , सुन सकते हो ना ? I am India & Want to Ask something , Can you hear ?

चाँदनी रात की दूधिया रौशनी और उसमे चमकता मेरा मुकुट था 
भरत यँहा शेरो से और झाँसी तलवारो से , मेरा अतीत था | 

रण में राणा की हुंकार वो वीर शिवा की गर्जना , मेरा रक्त था 
आओ भारतीयों तुम्हे बताऊ , दिखाऊ मैं पहले भारत था | 


the aunty


ग्वाले और उनकी गाये और फिर शाम का वक्त , शायद उनके खुरों से उड़ती वो गोधूलि कितनी मनोरम हुआ करती थी | दूध और घी की कमी शायद मेरे यँहा कभी नहीं रही | मुझे मेरे लाले सोने की चिड़िया कहा करते थे | गंगा , जमुना का स्वच्छ नीर कितनो का गला तर कर देता था | कान्हा की मुरली से कितने धन्य हुआ करते थे | वो गुरुकुल में सभ्यता का पाठ सीखते मेरे भरत थे | फिर वो कभी गुनगुना देते थे -

हम भारत के भरत खेलते शेरों की संतान से,
कोई देश नहीं दुनिया में बढ़कर हिंदुस्तान से ।

शिक्षा का केंद्र था में | तक्षिला , नालंदा में ना जाने कितने परदेशी धन्य होते गए | संस्कृत जँहा जुबाँ  पर अमृत बिखेर देती थी | शुबह शाम मंदिरो से गूँजते मंत्र जैसे तन-मन को शुद्धि देते जाते थे | मेरे यँहा धन धान्य की कोई कमी नहीं थी | शत्रु तक यँहा भोजन पा जाता था | लोगो में वात्सल्य भरपूर था | मेरे पुत्र वचन के पक्के हुआ करते थे | अच्छा तुमने सुना होगा ना -

रघुकुल रीत सदा चली आई 
प्राण जाये पर वचन ना जाये | 

कई बार मुझ पे गैरो की बुरी नज़रे भी पड़ी पर मेरे वीर पुत्रो ने अपनी जान दे कर मेरी लाज बचाई |  अधर्म जब-जब पाँव पसारता उसको जड़ सहित उखाड़ दिया जाता था | श्री कृष्ण ने महाभारत में उल्लेख किया  -

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिः भवति भारत, अभि-उत्थानम् अधर्मस्य तदा आत्मानं सृजामि अहम् । परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुस्-कृताम्, धर्म-संस्थापन-अर्थाय सम्भवामि युगे युगे ।

अर्थात जब जब धर्म की हानि होने लगती है और अधर्म आगे बढ़ने लगता है, तब तब मैं स्वयं की सृष्टि करता हूं, अर्थात् जन्म लेता हूं । सज्जनों की रक्षा एवं दुष्टों के विनाश और धर्म की पुनःस्थापना के लिए मैं विभिन्न युगों (कालों) मैं अवतरित होता हूं ।

हर और से मैं गर्व से परिपूर्ण हुआ करता था | मेरे यँहा तो स्वयं भगवान खेलने को चले आते थे | कश्मीर से कन्याकुमारी तक मैं बस एक था |  समझते हो ना एक होने का मतलब | मेने कभी किसी पर हमला नहीं किया क्योंकि अहिंसा परमो धर्म , मेरा चरित्र था | पर...........

अब ये लाल अक्षर मेरे खून को बंया करेंगे | समय बदलता है , सुना था और आज में स्वयं देख रहा हूँ | अब मैं बिल्कुल बिखर सा गया हूँ | मेरे आँसू पलकों से परे हो गुजर रहे है | मेरी व्यथा सुनो ना ,मैं भारत तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ | सुन सकते हो ना ?

अब मैं अपने ही कश्मीर में रौंदा जाता हूँ | कभी मुकुट हुआ करता कश्मीर अब मेरी दुखती रग बन गया है | मेरे बहादुर बेटो पर पथ्थर मार , गो बैक इंडियन डॉग कहा जाता है | घर में ही आंतकियों को सहारा मिल जाता है | घर का भेदी लंका ढाये , वाली बात मुझसे कुबूल नहीं होती | मेरे खून में ऐसी बात तो न थी | मैं माँ हूँ कैसे मेरे लाल मेरे ही सामने छलनी किये जा रहे है ? मैने ऐसी माँए तो न जनि थी जिसकी कोख आंतकवादी को पैदा करे | मुकुट कैसे धारण करू , इसमें अब कील ही कील है , चुभती है | मेरी व्यथा सुनो ना ,मैं भारत तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ | सुन सकते हो ना ?   
मेरे ही दिल दिल्ली में मुझे तोड़ने की बात की जाती है | रोटी सेकने कुछ परदेशी गिद्ध भी पंहुच जाते है |और कितने टुकड़े करोगे ? अच्छा ऐसा कर फेम भी हासिल हो गया ना | कुछ तथाकथित प्रोफेसर मेरे इतिहास को उखेड़ फेंक रहे है | बोलो मेरा ही दिल मेरे साथ षड़यंत्र रच बैठा है | मेरी बेटियाँ बिच चलते रास्ते आबरू हीन कर दी जाती है | मेरी व्यथा सुनो ना ,मैं भारत तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ | सुन सकते हो ना ?

वो लाल झंडा , वो लाल सलाम |सुना था मैं मात्र तीन रंगो का हु फिर ये सैंकड़ो रंग क्यों थोप दिए गए ?ये मेरे बाजू काट रहे है | मेरे वीर यँहा भी अपनी आहुति दे रहे है | मेरे बाजू अब रक्त विहीन हो गए है | ये मेरे अपने तो नहीं है ,  होते तो आपको को मारते ? नक्सलवाद और इससे जुड़े भेड़िये मुझे नोच रहे है | तुम सुनो ना मेरे बहादुर लाल , अस्मत को मेरी अब तुम बचा लो ना | मैं अब साँस नहीं ले पा रहा हूँ | मेरी व्यथा सुनो ना ,मैं भारत तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ | सुन सकते हो ना ?    

 मेरे चरणों में मेरे बच्चे आंतकवादी बनने जा रहे है ? ISI में भर्ती को जा रहे है ? नहीं नहीं वो मेरे लाल कतई नहीं हो सकते है | सुना है मेरे ये बच्चे सबसे ज्यादा पढ़े लिखे है | फिर कैसे ? कौन इनके दिमाग में ज़हर घोल रहा है ? मेरे चरण अब उठ नहीं पाते | खून से लथपत मेरे कदम अब पूरी तरह से सड़ चुके है |शायद काटने पड़ेंगे ना ? तो तुम काहे नहीं बचा लेते ? मेरी व्यथा सुनो ना ,मैं भारत तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ | सुन सकते हो ना ?

किसके साथ खड़े हो भारतीयों ? देश में जयचंदो और गद्दारो से भयभीत हूँ | तुम मेरी सोचो ना | मैने ही तुम्हे अपने खून से सींचा है | फिर तुम मुझसे दगा क्यों करते हो ? क्या माँ को ही हर बार बलिदान देना होगा ? इस बार तुम मेरा साथ दे दो ना | फिर ना जाने में कितनी अपंग हो जाउंगी | मुझे पहले से ही काफी काटा जा चूका है | में खून से लथपत तड़प , पुकार हूँ | मेरी व्यथा सुनो ना ,मैं भारत तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ | सुन सकते हो ना ?



चाँदनी रात की दूधिया रौशनी और उसमे चमकता मेरा मुकुट था 
भरत यँहा शेरो से और झाँसी तलवारो से , मेरा अतीत था | 

रण में राणा की हुंकार वो वीर शिवा की गर्जना , मेरा रक्त था 
आओ भारतीयों तुम्हे बताऊ , दिखाऊ मैं पहले भारत था | 

😔

Monday, April 29, 2019

April 29, 2019

सनी देओल का मजाक उड़ाना भारी पड़ गया , लोगो ने दिखाया आइना 🔥🔥

सनी देओल का मजाक उड़ाना भारी पड़ गया ,  लोगो ने दिखाया आइना 🔥🔥

ढाई किलो का हाथ जिस पर पड़ता है वो उठता नहीं बल्कि उठ जाता है | सनी देओल की फिल्म का ये डायलॉग आपने जरूर सुना होगा | ऐसा ही इस बार कवी कुमार विश्वास के साथ सनी देओल के फैंस ने कर दिया | हाल ही बीजेपी ज्वाइन करने वाले सनी पाजी ने बीकानेर में रैली की थी जो की काफी सफल मानी गई | इसी को देखते हुए सनी पाजी को गुरुदासपुर से टिकट दिया गया | लेकिन कवी कुमार विश्वास ने इसपर चुटकी लेते हुए ऐसा तंज कसा की काफी लोग खफा गए | देखिये कुमार का ट्वीट..


कुमार ने ट्वीट किया की -

"बीकानेर से धर्मेंद्र जी और मथुरा से हेमा जी ने संसद पहुँचकर जैसे हमारा लोकतंत्र मज़बूत किया, वैसे ही अपनी अंतिम फ़िल्म “भाईसाहब” के बाद गुरुदासपुर से लोकतंत्र मज़बूत करने के लिए सन्नी दयोल संसद जाने हेतु चुनाव में उतरें हैं ! हम और हमारा “लोकतंत्र” शायद यही डिज़र्व भी करते है🙏🇮🇳"


लोगो ने दिया मुहतोड़ जवाब -

जब कुमार ने तंज कसा तो लोग भी कहा पीछे रहने वाले थे , उन्होंने भी कुमार को आड़े हाथ ले लिया | काफी खरी-खरी सुनाई गई | देखिये एक यूजर का ट्वीट -

Raj  Anand एक यूजर ने कुछ ऐसा कहा -

आप भी तो आम आदमी पार्टी से अमेठी मे लोकतंत्र मजबूत करने गए थे मगर अफसोस वहा की जनता ने आपको 2 टके के गवइया से ज्यादा कुछ नहीं समझा. शायद आप यही डिज़र्व भी करते है🙏🇮🇳

कुमार लोगो को करने लगे ब्लॉक 

कुमार विश्वास ट्विटर पर काफी सक्रीय रहते है | जैसे ही उन्होंने सनी देओल के बारे में ट्वीट किया , जनता ने भी जवाब देना शुरू कर दिया | कुछ जवाब ऐसे थे की कुमार विश्वास हजम नहीं कर पाए | उन्होंने लोगो को ब्लॉक करना शुरू कर दिया | देखते ही देखते कुमार ने काफी लोगो को ब्लॉक कर दिया | 
जरा ऐसे देखे -


विश्वास जी से को यदि ये सब हजम नहीं होता तो उन्हें ऐसा बोलना भी नहीं चाहिए | खेर उच्च कोटि के वक्ता है , उनकी बातो का जवाब हर किसी के पास होता नहीं | पर ये जनता है सब समझती है | जनता को हल्के में कभी नहीं लेना चाहिए | 

आपके विचार निचे कमेंट में जरूर लिखे | 

Thursday, April 11, 2019

April 11, 2019

100 साल बाद माफ़ी नहीं केवल अफ़सोस क्यों ?

100 साल बाद जलियांवाल बाग पर ब्रिटेन ने केवल अफ़सोस जताया , माफ़ी नहीं मांगी। 

जलियांवाला बाग़ हत्याकांड की 100 वीं  बरसी पर ब्रिटेन सरकार ने अपने इस खूंखार कृत्य के लिए अफ़सोस जरूर जताया लेकिन माफ़ी फिर नहीं मांगी | इससे पहले ब्रिटेन की महारानी और पूर्व PM कैमरन ने भी केवल अफ़सोस जताया पर माफ़ी नहीं मांगी | ब्रिटिश सरकार इसे इतिहास का सबसे बड़ा दाग बताया | प्रधानमंत्री टेरेजा ने बुधवार को संसद में ये बात कही | 

theaunty


बुधवार को जलियांवाला बाग नरसंहार की 100 वीं बरसी पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरेजा संसद को सम्बोधित कर रही थी | उन्होंने कहा " उस समय लोगो को जो पीड़ा हुई ,उसका हमें खेद है | " 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में ये नरसंहार हुआ था | 

माफ़ी क्यों नहीं मांगी जा रही है ?

 ब्रिटिश सरकार को इस बात का डर है की यदि इस मुद्दे पर माफ़ी मांगी गई तो हो सकता है इसमें जान गवाने वाले लोगो के परिवार वाले मुआवजे की मांग कर सकते है | इसके चलते वित्तीय परेशानी का सामना करना पड़ सकता है | यदि मुआवजे की मांग की जाती है तो सरकार पर वित्तीय बोज बढ़ेगा | 

कितने लोगो ने अपनी जान गंवाई थी ?

13 अप्रैल 1919 को हज़ारो लोग अमृतसर के जलियांवाला बाग में एकत्रित हुए थे | जनरल डायर ने बिना किसी चेतावनी के ही भीड़ को चारो ओर से घेर कर उनपर गोलियों की बौछार करवा दी जिसमे 1000 आस-पास लोगो की जान चली गई चली गई और 1500 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे | 

विपक्ष ने भारत के पक्ष में माफ़ी मांगने को कहा  

विपक्ष में बैठे लेबर पार्टी ने मांग की है की इतिहास में हुई इस भूल के लिए ब्रिटिश प्रधामंत्री को भारत से माफ़ी मांगनी चाहिए | विपक्षी नेता ने कहा है की हमें इस कृत्य के लिए के लीये स्पष्ट रूप से माफ़ी मांगनी चाहिए |


Saturday, March 30, 2019

March 30, 2019

बुढ़ापे में मिले 553 करोड़ रुपये | Old man got 553 crores rupees

बूढ़े को कीटनाशक से कैंसर हुआ तो मिले 553 करोड़ 

एक बूढ़े आदमी को अमेरिका में कीटनाशक की वजह से कैंसर हो गया था | उसने उस कीटनाशक कंपनी के खिलाफ कोर्ट में अर्जी डाल दी थी | सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पीड़ित बुजुर्ग को 553 करोड़ रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है | मॉनसेंटो नाम की कंपनी को ये मुआवजा एक महीने के भीतर देना होगा | 

monsanto

मामला क्या था ?

एक सेवानिवृत बुजुर्ग ने मॉनसेंटो नाम की कंपनी की वीडकीलर रॉउंडप नाम की कीटनाशक खरीदी थी | कुछ साल बाद जब बुजुर्ग अस्पताल में चेक-उप कराने पँहुचा तो पता चला की उसे कैंसर है | कुछ समय बाद ही बुजुर्ग ने मॉनसेंटो कंपनी की वीडकीलर को अपने कैंसर की वजह करार दे दिया | कोर्ट ने जुर्माना लगा कर कहा की ये फैसला बाकि कंपनियों के लिए एक सबक होगा | 

जज ने ये भी पाया की बायर की कंपनी ने अपने उत्पादों पर इस्तेमाल करते समय बरती जाने वाली सावधानिया नहीं लिखी थी | कोर्ट ने कहा की ये बहुत ही खतरनाक है | कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों को हर बात का जिक्र अपने उत्पादों पर करना चाहिए | 

इससे पहले एक अन्य कीटनाशक कंपनी ऐसा ही एक केस हार चुकी है | कोर्ट ने उसका भी जिक्र किया और कहा की जर्माना लगाए बिना ऐसे मामले रोके नहीं जा सकते | 

खेर भारत की बात की जाये तो ऐसे हज़ारो मामले दबे पड़े है लेकिन कोई  एक्शन नहीं लिया जाता है | 

   
March 30, 2019

" नोटबुक " एक सिख है , सच्चाई है | #notebookmovie

बेजान सी इस फिल्म ने दिलों में कैसे जान फूँक दी 

कई बार "जिसे हम जो समझते है अक्सर वो वैसा होता नहीं , और जो जैसा होता है वो वैसा दीखता नहीं "| इसी बात को 100 % सही साबित करती है "नोटबुक " | Notebook Movie 29 मार्च 2019 को सिनेमा घरो में प्रदर्शित की गई | इस फिल्म की कहानी , इसके स्टार कास्ट दोनों बिल्कुल साधारण से है पर फिर भी Notebook Movie का प्रभाव काफी दमदार रहा | IMDb पर नोटबुक फिल्म को  7.3 /10 रेटिंग मिली है | 

#notebookmovie

प्यार , शिक्षा और कहानी खत्म ?

नोटबुक फिल्म देखने पर पता चलता है की फिल्म में केवल दो टीचर्स के बिच प्यार और कश्मीर में दूर कंही गाँव में 7 बच्चों की शिक्षा की ही कहानी है | पर बात कुछ और भी है | इसमें इमरान (10-12 साल का) जो की एक स्टूडेंट है के आगामी भविष्य पर भी प्रकाश डाला गया है | कश्मीर की एक असली समस्या शिक्षा पर ये फिल्म शायद सटीक बैठती है | इमरान के अब्बू उससे पढ़ाना नहीं चाहते बल्कि उसे तालीम देना चाहते थे | तालीम के लिए उसे कँही दूर भेजना भी चाहते थे | अब ये आसानी से समझा जा सकता है की इमरान को कँहा भेजा जा रहा था ?  बिल्कुल सही सोचा आपने | खेर इस बारे में हम फिर कभी बात करेंगे | 

#notebookmovie , notebookmovie

क्या कहानी है Notebook Movie की ? 

कहानी के दो मुख्य किरदार कबीर (अभिनेता) और फिरदौस (अभिनेत्री) है | कबीर पहले आर्मी में होता है | लेकिन एक दिन जब एक बच्चा भेड़ को लेने बॉर्डर पार कर आता है और कबीर उसको बोलता है की तुम कौन हो और कैसे यँहा आ गए ? तो बच्चा डर के भागने लगता है और उसका पैर बिछाई माइंस पर पड़ जाता है | एक धमाका होता है और बच्चा मारा जाता है | कबीर ये देख नहीं पाया और उसको लगा बन्दुक की वजह से वो बच्चा डर गया था और उसकी मौत हो गई | तभी कबीर में आर्मी छोड़ दी | कबीर अपने जीवन से संतुष्ट नहीं था | 

दूसरी तरफ फिरदौस जो की बस स्वतंत्र होना चाहती है | वो दूर एक गाँव में मात्र 7 बच्चों को पढ़ाने के लिए अकेली उसी स्कूल में रूकती है | उसके प्रेमी से उसकी कोई खास बनती नहीं है | बस वो खुलकर जीना चाहती थी | शादी के ही दिन पता चलता है की उसके प्रेमी ने किसी और लड़की को प्रेगनेंट कर दिया है |  उसकी शादी नहीं हो पाती है और फिर से वो दूर उस स्कूल में पढ़ाने चली जाती है | पहले टैटू की वजह से फिरदौस ने स्कूल छोड़ दी थी | फिर कबीर बच्चों को पढ़ाने आ गया | पर दोनों कभी मिले नहीं थे | 

 फिरदौस की डायरी को कबीर पढता है और उसको उससे प्यार हो जाता है | पर दोनों का मिलना नहीं हो पाता है | जब कबीर स्कूल छोड़ कर जाता है तो डायरी में वो भी अपने दिल की बाते लिख कर रख देता है | उस डायरी को फिरदौस पढ़ती है और कबीर को ढूंढने जाती है पर कबीर नहीं मिलता | एक दिन एक खत आता है की बच्चों से मिलने कबीर स्कूल में आने वाला है | 

उधर जब इमरान स्कूल में होता है तो उसके अब्बू उसको लेने आ जाते है | इमरान के अब्बू ने पहले भी उसको पढ़ने के लिए मना किया था | इसी बिच कबीर वँहा आ जाता है और इमरान के अब्बू से इमरान को साथ नहीं ले जाने को कहता है | इमरान के अब्बू कबीर तो थप्पड़ मारते है और कबीर को अपना हाथ छोड़ने को कहते है | इसी बिच इमरान के अब्बू अपनी बन्दुक से कबीर को मारने लगते है | बन्दुक उंछल कर थोड़ी दूर गिर जाती है | 

इमरान के अब्बू इमरान को बंदूक देने को कहते है पर इमरान बंदूक अपने अब्बू पर ही तान देता है | पर कबीर के मना करने पर इमरान मान जाता है और बंदूक वापस निचे रख देता है | इमरान के अब्बू  बदल जाते है | फिर कबीर और फिरदौस का मिलन हो जाता है | 

फिल्म को काफी अच्छी तरह से सजाया गया है | थाई फिल्म "टीचर्स-डायरी" पर ही ये फिल्म बनाई गई है | इस फिल्म को सलमान खान ने produce किया है और नितिन कक्कड़ ने डायरेक्ट किया है | 


Tuesday, March 26, 2019

March 26, 2019

मेडिकल कॉलेज का फरमान ,लड़को से दूर रहें लड़कियाँ


मेडिकल कॉलेज का फरमान ,लड़को से दूर रहें लड़कियाँ


➧➤ छोटी स्कर्ट न पहनने की सलाह



मुंबई -महाराष्ट्र के सरकारी जेजे हॉस्पिटल ग्रांट मेडिकल कॉलेज की छात्राओ ने 'छोटी स्कर्ट 'न पहनने  और कार्यक्रमो के दौरान पुरुष साथियों से अलग बैठने के फरमान के खिलाफ रविवार को प्रदर्सन किया उन्होंने दावा किया कि इस आदेश के जरिए कॉलेज प्रसासन के अधिकारी 'मोरल पुलिसिंग 'की कोशिश कर रहे है |

अधिकारियों ने 21 मार्च को होली के एक कार्यक्रम के बाद ये निर्देश जारी किए है |  कार्यक्रम में सस्थान के परिसर में कुछ युवाओं ने हंगामा मचाया और अभद्र व्यवहार किया था | अधिकारियों के सर्कुलर के खिलाफ असहमति जताते हुए छात्राओं ने रविवार को टखने तक कपड़े पहनकर और अपना चेहरा ढककर प्रदर्शन किया |

➧➤ बर्फ से स्किन को करे टाइट 
➧➤ चेहरे से काले धब्बे करे दूर 

छात्राए उचित परिधान को तरजीह दे - डीन

इस बारे में संस्थान के डीन डॉ। अजय चंदनवाले ने कहा छात्राओं से अपेक्षा है कि वे उचित परिधान पहने विद्यार्थियों के लिए मेरा यही संदेश है होली के कार्यक्रम में कुछ हंगामा हुआ इसलिए हमने इस तरह के कड़े कदम उठाने का फैसला किया है

वैसे तो कौन क्या पहनता है इसका अधिकार उन्हीं के पास है पर फिर भी शिक्षा स्थल पर कपड़ो का और आचरण का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए | हद से ज्यादा आज़ादी भविष्य में खतरों को ही आमंत्रण देती है | 

आप अपना मत जरूर कमेंट करे |